नमस्कार दोस्तों....आज यहाँ मौसम में एक खुमारी है.. तपती धुप के वावजूद भी....और सदाए आवाज दे रही हैं इस खुमारी में बह जाने की...ये आवाज का भी अजब खेल है...कोई पुकारे तो लगता है बस मौसम यही थम जाए.तमन्ना यही रुक जाए...किसी की आवाज कानो में रस घोलती है...किसी की कर्कश ध्वनि कानो में कंकड़ की तरह चुभती है..किसी की आवाज से वीणा के सारे तार झंकृत हो जाते है...कभी किसी ने आवाज दी भी नहीं फिर भी लगता ह...ै उन्होंने पुकारा है दिल से ..वाह रे आवाज...scienceकी भाषा में conservation of energy में आवाज कभी मरती नहीं वो गुंजती रहती है इस जहाँ में ...इसीलिए कई बार आपने सोचा किसी अपने के बारे में और आपके अपनों तक आपकी आवाज पहुँच जाती है बेतार बिना किसी दूरसंचार के...किसी scientist ने तो इतना कहा है की गीता के SHLOKAS भी मिल जायेंगे SOUND फॉर्म में .....आवाज का भी इतिहास है..सोचिये सोचिये.....अरे दोस्तों मेरी आवाज में बहिये मत और सुनिए सदाए कैसे बुला रही हैं आपको.......रम जाइये सदाओं की सुन्दरता में और खो जाइये तमन्ना के सपनो में.......गाना सुनिए.......
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