Monday 9 April 2012

तेरे मेरे सपने


दोस्तों आज कही सुना मैंने ये गाना, तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं... तमन्ना के दिल ने सोचा सपने तो सपने हैं ये कोई कैनवास तो है नहीं फिर इस में भी रंगों की बात कहाँ से आ गयी ....शायद इसीलिए कि सपने में कोई बेहद खुबसूरत चीज दिखी तो रंग गुलाबी -गुलाबी.....अगर कुछ बुरे सपने देखे तो रंग स्याह..... ,अगर समंदर की लहरों में खुद को अठखेलियां करते पाया तो रंग फेनिल लहरों की तरह दुधिया सफ़ेद .....और चांदनी र...ातो में अपने प्यार के साथ सैर कर रहे है तो रंग आसमान की तरह नीला नीला ...सपनो में किसी पर गुस्सा आया तो रंग नीला-पीला ,वाह रे सपनो में रंगों का खेल.. .कभी सतरंग तो कभी बेरंग ......अरे हाँ सपनो के और रंग देखिये..सफल लोगो की सफलता की ईमारत भी सपनो में ही बनती है और उसका रंग फोटो के negative की तरह black & white .... जब वो जमीं पर आता है तो इतिहास लिख जाता है....मनोवैज्ञानिक भाषा में सपनो के कारण है कि आप सपनो में उन पलों को जी लेते हैं जिसकी आपको जीने की तमन्ना ....उन सपनो में अपने मन की तुलिका से मनचाहा रंग भर लेते हैं जो आपको वास्तविक जीवन में नहीं मिलते......तो दोस्तों इससे depression (अवसाद)नहीं होता.....कितने खुशरंग होते हैं सपने...........हैं ना....सोचिये सोचिये.....अरे दोस्तों सपनो की बाते अभी क्यों सोच रहे हैं .....आइये सपनो में तमन्ना के ख्यालो में और तमन्ना के रंग में रंग जाइये ..........पल पल दिल के पास रहने की तमन्ना .......

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