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तकरार
हर बात तुम्हारी अच्छी है पर यूँ रूठ के जाना ठीक नहीं
जब मन की अगन भी तुमसे है मेरे दिल को जलाना ठीक नहीं
हम वादे वफ़ा में उलझे रहे तुम रस्मे-रिवाज निभाते रहे
जब प्यार की कसमे खायी हैं यूँ मुंह मोड़ के जाना ठीक नहीं
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